आइये आज पढ़ते हैं एक साधारण विद्यालय से राज्य स्तरीय पहचान तक बनाने की एक शिक्षक मुकेश कुमार जी की शिक्षक गाथा
शिक्षा किसी भी समाज की रीढ़ होती है, और एक शिक्षक के रूप में मुकेश कुमार का सपना हमेशा यही रहा कि अपने छात्रों को बेहतर भविष्य की ओर ले जाने में एक सेतु बने । वर्ष 2014 में जब प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय, तुलसिया, दिघलबैंक (किशनगंज) में कार्यभार संभाला, तब यह स्कूल संसाधनों की कमी, शिक्षण की गुणवत्ता और छात्राओं की उपस्थिति जैसी कई चुनौतियों से जूझ रहा था।
विद्यालय में न तो पर्याप्त शिक्षण सामग्री थी, न ही अन्य सुविधा। कई छात्राएँ पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती थीं, और अभिभावकों में शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी थी। लेकिन मुकेश कुमार ने इसे एक अवसर के रूप में देखा, न कि समस्या के रूप में। धीरे-धीरे विद्यालय ने सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ना शुरू किया। शिक्षण परिणामों में निरंतर सुधार हुआ, छात्राओं ने जिला स्तर की परीक्षाओं में टॉप किया, और विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कार भी जीते। इन्होंने विद्यालय को बिहार राज्य के चुनिंदा उभरते विद्यालयों में गिना जाने लगा। विद्यालय में अब स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब और स्वच्छता की उत्तम व्यवस्था है।
मुकेश कुमार केवल शिक्षण कार्य ही नहीं बल्कि विद्यालय की समस्त शैक्षणिक, सह-शैक्षणिक, और प्रशासनिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाई। इन्होंने सबसे पहले स्कूल के बुनियादी ढांचे को सुधारने की दिशा में कार्य शुरू किया। छोटे-छोटे कदमों के साथ, शिक्षकों को प्रोत्साहित किया कि वे रचनात्मक तरीकों से पढ़ाएं, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें और हर छात्रा की जरूरत को समझे। इन्होंने समुदाय को जोड़ने की कोशिश की — स्कूल सिर्फ चारदीवारी नहीं, एक जिम्मेदारी है, यह संदेश लेकर इन्होंने गाँव में बैठकों का आयोजन किया, अभिभावकों को स्कूल में बुलाकर संवाद स्थापित किया, जिससे छात्राओं की उपस्थिति में तेजी से सुधार हुआ।
विद्यालय में इनकी प्रमुख जिम्मेदारियाँ निम्नलिखित रही हैं:
- नियमित शिक्षण कार्य के साथ छात्रों की उपस्थिति पर विशेष ध्यान।
 - सांस्कृतिक कार्यक्रमों, खेल-कूद प्रतियोगिताओं एवं अन्य गतिविधियों का आयोजन व संचालन।
 - प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कुशल नेतृत्व।
 - ईको क्लब के मास्टर ट्रेनर के रूप में पर्यावरणीय गतिविधियों को बढ़ावा देना।
 
एक शिक्षक के रूप में मुकेश कुमार की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। मैं यह नहीं कहता कि यह अकेले का प्रयास था, बल्कि यह टीम वर्क, सामुदायिक सहभागिता और इनके निरंतर लगन का परिणाम है। अब मुकेश कुमार +2 उत्क्रमित उच्च विद्यालय, कोरिया, चांदन, बांका में स्थानांतरित होकर कार्यभार ग्रहण किया है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि वहां भी उसी जोश, लगन और उत्तरदायित्व के साथ कार्य करेंगे तथा विद्यालय को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में अपना योगदान देंगे ।
                                