Puja Jha (Puja Kumari )
ID: cd492244f5f4अनुगूँज-हिंदी की
- Gender: 👩 Female
- Class / Role: 👩🏫 Teacher
- School: 🏫 Puja Kumari (UMS Mataiya )
- District & Block: 📍 VAISHALI, PATEPUR
- Applied Category: 📝 काव्य लेखन
Rejected
Under: काव्य लेखन - शिक्षक निर्णायक की पसंद
फिर से आज निखरना होगा
मानव कब तक हारोगे तुम
इर्ष्या दोष के वारों से,
घबराते हो तुम कितना
विपरीत हालत के वारों से l
सब सहकर तुमको
जीवन पथ पर चलना होगा,
हे!मानव रुपी रत्न तुम्हें
फिर से आज निखरना होगा।
परशुराम भी नर थे तुमसे
भर हुंकार वो वंदन करके,
मृत्यु लोक की इस धरा को
पावन फिर से करना होगा।
हे! मानव रुपी रत्न तुम्हें
फिर से आज निखरना होगा।
नर पिशाच बन बैठे नर तो
उजड़ गए हों बसे शहर तो
कर कोशिश बसाने की फिर
उनको याद दिलाने की फिर,
नर में भी नारायण होते
ये बात उन्हें समझाना होगा।
हे! मानव रुपी रत्न तुम्हें
फिर से आज निखरना होगा...।
Remarks
यह रचना प्रतियोगिता के विषय वस्तु के अनुरूप नहीं है।
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